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लेखनी प्रतियोगिता -15-Oct-2022


आ मेरे हमराही तुझे वहां ले जाऊं
तुझको आशाओं का एक जहां दिखलाऊँ
मैंने सांसो के धागे में सपने गुंथे हैं
तुझको मैं अपने सपनों की माला पहनाऊं।

तू जान मेरी तू मन मेरा
तुझसे ही तो जीवन मेरा
आशा भी तू निष्ठा भी तू
और तू ही भोलापन मेरा।

मैं अपनेपन में खोया था
जीवन राहों में भटक रहा
न कोई पथ न कोई लक्ष्य
फिर एकाकीपन खटक रहा।

फिर तुमने पकड़ हाथ मेरा
जीवन को नूतन रंग दिया
मेरे फक्कड़ जीवन को तुमने
सांसारिकता का ढंग दिया।

साथी तो बहुत से होते हैं
रिश्ते भी होते हैं काफी
पर जीवन भर जो साथ चले
वो ही तो है जीवनसाथी।

इस जीवन की राह में तुम
हमराही बनकर साथ रहो
मेरे मन में अंतर्मन की
गहराई बनकर साथ रहो।

कितना भी दुष्कर हो रस्ता
फिर भी कट तो जाता है
हमराही अगर साथ हो तो
आनन्द सिमट ही आता है।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु।



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11 Comments

Suryansh

20-Oct-2022 07:08 AM

लाजवाब लाजवाब

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Swati chourasia

16-Oct-2022 12:09 AM

वाह बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌

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Anshumandwivedi426

16-Oct-2022 07:31 AM

कोटि कोटि धन्यवाद

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Raziya bano

15-Oct-2022 01:21 PM

Bahut khub

Reply

Anshumandwivedi426

15-Oct-2022 03:20 PM

सहृदय धन्यवाद

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